सरस्वती शिशु मन्दिर योजना का प्रथम दीप गोरखपुर में 1952 में प्रज्ज्वलित हुआ था। जिसकी आभा चतुर्दिक आलोकित हुई। इस आलोकिक क्रान्ति में देश प्रेम एवं भारतीयत्व की आशा किरण दिखायी दी।
इसी किरण के प्रभाव से बीसलपुर नगर के जागरुक स्वयं सेवकों ने भी छात्रों में राष्ट्रभक्ति एवं सद्संस्कार अंकुरण हेतु शिक्षा को ही श्रेष्ठ माध्यम समझा और 15 अगस्त 1972 को संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक स्व0 श्री रामरक्षपाल गुप्त, स्व0 श्री रामअवतार अग्रवाल, डॉ0 रामप्रसाद एवं डॉ0 फतेह सिंह के सहयोग से सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना हुयी।
विद्यालय की कार्य प्रणाली एवं परिणाम से प्रभावित होकर अभिभावकों एवं समाज के बन्धुओं ने विद्या मन्दिर की जूनियर कक्षायें प्रारम्भ करने का आग्रह तत्कालीन प्रबन्ध तन्त्र से किया। विवश होकर छात्रों की आवश्यकता एवं समाज के आग्रह पर साहू काशीनाथ मित्तल एवं डा0 वागीश चन्द्र