सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज

05881-223974 | svmicbisalpur@gmail.com

संक्षिप्त परिचय

सरस्वती शिशु मन्दिर योजना का प्रथम दीप गोरखपुर में 1952 में प्रज्ज्वलित हुआ था। जिसकी आभा चतुर्दिक आलोकित हुई। इस आलोकिक क्रान्ति में देश प्रेम एवं भारतीयत्व की आशा किरण दिखायी दी।
इसी किरण के प्रभाव से बीसलपुर नगर के जागरुक स्वयं सेवकों ने भी छात्रों में राष्ट्रभक्ति एवं सद्संस्कार अंकुरण हेतु शिक्षा को ही श्रेष्ठ माध्यम समझा और 15 अगस्त 1972 को संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक स्व0 श्री रामरक्षपाल गुप्त, स्व0 श्री रामअवतार अग्रवाल, डॉ0 रामप्रसाद एवं डॉ0 फतेह सिंह के सहयोग से सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना हुयी।
विद्यालय की कार्य प्रणाली एवं परिणाम से प्रभावित होकर अभिभावकों एवं समाज के बन्धुओं ने विद्या मन्दिर की जूनियर कक्षायें प्रारम्भ करने का आग्रह तत्कालीन प्रबन्ध तन्त्र से किया। विवश होकर छात्रों की आवश्यकता एवं समाज के आग्रह पर साहू काशीनाथ मित्तल एवं डा0 वागीश चन्द्र

 मिश्रा के सहयोग एवं रामरक्षपाल गुप्त जी के परिश्रम तथा डा0 योगेश चन्द्र मिश्र के परामर्श से जुलाई 1978 में सरस्वती विद्या मन्दिर की कक्षा षष्ठ प्रारम्भ हुई।
सरस्वती विद्या मन्दिर की निरन्तर प्रगति ने समाज को प्रभावित किया। श्री छेदालाल जायसवाल ने विद्यालय की आवश्यकता को देखते हुए विद्यालय संचालन हेतु स्थान देने के साथ ही समस्त सुविधायें भी प्रदान कीं। तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री इन्द्रजीत गंगवार एवं अन्य आचार्यो ने श्रेष्ठ छात्रों का निर्माण कर विद्यालय की प्रतिष्ठा और भी बढ़ायी।
तत्पश्चात् भारतीय शिक्षा समिति उ.प्र. द्वारा स्थानान्तरित प्रधानाचार्य श्री शिवशरण मिश्र का मार्गदर्शन छात्रों को प्राप्त होने के साथ ही आपका कार्य नींव का पत्थर सि( हुआ। श्री शिवशरण मिश्र ने अपने व्यवहार एवं कार्य प(ति से श्री छेदालाल जायसवाल एवं श्री महेश चन्द्र अग्रवाल को सन्तुष्ट कर उक्त बन्धुओं से विद्यालय हेतु जमीन दान स्वरूप प्राप्त की।
भवन निर्माण की समस्या को देखते हुए श्री रामरक्षपाल गुप्त ने अपनी भविष्य निधि की सम्पूर्ण धनराशि भवन निर्माण हेतु दान कर अपूर्व त्याग का परिचय दिया। साथ ही अन्य नगरवासियों का भी अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ जिसमें श्री ओम सर्राफ, श्री कैलाश चन्द्र वस्त्र विक्रेता तथा सर्वेश कुमार अग्रवाल प्रमुख हैं। डॉ0 सर्वेश कुमार अग्रवाल और डॉ0 महेश शंकर अग्रवाल ने प्रबन्धक के रूप में अथक प्रयास कर 3 कक्षाकक्ष एवं एक प्रयोगशाला, एक प्रधानाचार्य कक्ष का निर्माण करवाया।
बर्ष 1990 में श्री नरोत्तमदास अग्रवाल व्यवस्थापक, श्री जगन्नाथ प्रसाद अग्रवाल, श्री ब्रह्मअवतार अग्रवाल ने नवीन भवन में यज्ञ पूजन कराकर कक्षाओं का शुभारम्भ किया।भवन निर्माण में विद्यालय के तत्कालीन अध्यक्ष श्री विष्णुकुमार गोयल का भी योगदान उल्लेखनीय रहा।
नवीन भवन में विद्यालय पल्लवित होते हुए जुलाई 1997 में कक्षा 9 प्रारम्भ कर हाईस्कूल तक शिक्षा प्रदान करने की नींव रखी गयी तत्पश्चात् 2004 में इण्टरमीडिएट ;विज्ञान वर्गद्ध की कक्षायें प्रारम्भ कर बीसलपुर में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में प्रधानाचार्य श्री वीरेन्द्र कुमार मिश्र ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। आपके अथक प्रयास और परिश्रम से विद्यालय भवन का अत्यधिक विस्तार हुआ। निवर्तमान प्रधानाचार्य श्री गिरीश चन्द्र मिश्र के कुशल प्रशासन एवं मार्गदर्शन ने आचार्यो के अथक प्रयास के परिणाम स्वरूप नगर में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ की विद्यालय को अपूर्व दिशा प्रदान की। वर्तमान प्रधानाचार्य श्री डॉ0 रविशरण सिंह चौहान के मार्गदर्शन में विद्यालय सफलता की ओर अग्रसर है। सम्प्रति प्रबन्ध समिति, प्रधानाचार्य, आचार्यो, अभिभावकों एवं छात्रों के सकारात्मक संयुक्त प्रयास से विद्यालय निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। माँ वीणापाणि का यह मंदिर भविष्य में भी छात्रों को अक्षय ज्ञान निधि प्रदान कर कीर्त्युन्मुखी बनायेगा। इसी विश्वास के साथ…………..